Daawat-e-Ishq

SAJID KHAN, VAJID KHAN, KAUSAR MUNIR

हो चाँद चाहूँ न चकोरा

न फ़लक का टुकड़ा टुकड़ा टुकड़ा
नूर चाहूँ न मैं हूरी
न परी सा मुखड़ा
मुखड़ा मुखड़ा
संग संग चल दे
संग संग चख ले
मीठा मीठा
हर सुख हर दुखडा
उसे ख्वाबों से जगाऊँ
उसे बाहों में सुलाऊं
सरआंखों पे बिठाऊँ
उसे हाथों से खिलाऊँ तौमर

दिल ने दस्तरखान बिछाया

हाँ दिल ने दस्तरख़ान
बिछाया दावत ए इश्क़ है
दिल ने दस्तरख़ान
बिछाया दावत ए इश्क़ है
है क़ुबूल तो आजा जाना
दावत ए इश्क़ है
है क़ुबूल तो आजा जाना
दावत ए इश्क है इश्क है
दिल ने दस्तरखान बिछाया
हाँ दिल ने दस्तरखान बिछाया

सा सा नी नि ध ध पा पा ग ग म म ग ग रे रे
सा सा नि नि ध ध पा पा ग ग म म ग ग रे रे
नि सा सा ध नि सा सा ध नि सा सा ध

बादलों को चुन के बन के
कालीन बनाया है तेरे लिए
तारों को तोड़कर के
तश्तरी में सजाया है तेरे लिए

चाँद तारों को क्यों सताया
तिलमिलाया है मेरे लिए
जाउँ जिधर भी खिल खिल उधर ही
धूप निकलती है मेरे लिए

हाय बातें तेरी
चाश्नी सी मीठी मीठी

आये हाय बातें ही
दावते भी मीठी मीठी

तू आये तो मेरी फ़ीकी से
महफ़िल में लज़्ज़ते लौट आये

हसरतेलाज़्ज़ात जो है तेरी
दावत तो बोलो भला कौन आये

अरे कह दे तू जो सारि देग़ों को
की आग दिल की जो दम भी मैं दे दूँ अपना

दिल ने दस्तरखान बिछाया
दिल ने दस्तरखान बिछाया
दावत ए इश्क़ है
दिल ने दस्तरखान बिछाया
दावतएइश्क है
है क़ुबूल तो आजा जाना
दावत ए इश्क़ है
है क़ुबूल तो आजा जाना
दावत ए इश्क़ है

दावत ए इश्क़ है
दावत ए इश्क़ है
दावत ए इश्क़ है जी
दावत ए इश्क़ है
हाँ शरबत में
घुली मोहब्बत
दावत ए इश्क़ है आहा

तौबा तौबा बुरी मिलावट
दावत ए इश्क़ है

अरे किस्मत से
मिलती है शिरकत
दावत ए इश्क़ है

अजी बेफिज़ूल की किसको फुर्सत
दावत ए इश्क़ है आहा

तुनक नहीं ज़रा चख तोह ले आहा
धड़क नहीं ज़रा दम तोह ले
जुड़ जाने दे ज़रा तार से तार को
ज़रा सोच समझ इक बार तोह
न सोच के न होश से
तुझे मेहमान
बनाया है हमने दिल से

हाँ है क़ुबूल
ये हमने माना
है क़ुबूल ये हमने माना
दावत ए इश्क़ है
जी हुज़ूर हमें मंज़ूर ये
दावत ए इश्क़ है
जी हुज़ूर हमें मंज़ूर ये
दावत ए इश्क है इश्क है

अहा अहा
अहा अहा

होय होय होय होय
दावत ए इश्क़ है
दावत दावत ए इश्क़ है
दावत ए इश्क़ है
दावत ए
दिल ने दस्तरखान बिछाया
दावत ए इश्क़ है
दावते ए इश्क़ है
दावते दावत ए इश्क़ है
दावते दावत ए इश्क़ है
दावते दावत ए इश्क़ है
इश्क़ है इश्क़ है इश्क़ है
दावते ए इश्क़ है
दावते दावत ए इश्क़ है
दावते दावत ए इश्क़ है
इश्क़ है

Curiosità sulla canzone Daawat-e-Ishq di Javed Ali

Chi ha composto la canzone “Daawat-e-Ishq” di di Javed Ali?
La canzone “Daawat-e-Ishq” di di Javed Ali è stata composta da SAJID KHAN, VAJID KHAN, KAUSAR MUNIR.

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