Ghalat
Lakshay, Dhruv Yogi
यह रात बड़ी ही घालत हैं
इसकी बातों में ना आना
यह चाँद बड़ा ही घालत हैं
इससे ना आँखें मिलना
टूम नींद से रख लेना
अकेले मुझे चलना रास्ता
जब हारके सुबे मैं सौगा
तुम सपनो में मेरे आजाना
जब हारके सुबे मैं सौगा
तुम सपनो में मेरे आजाना
जब से हुए हैं तुमसे जुड़ा
रिश्ते नींदो से ठीक नही
जब से हुए हैं तुमसे जुड़ा
रिश्ते नींदो से ठीक नही
आँख लगे तो तुम दिखती तो
आते मगर नज़दीक नही
अब कैसे करे ये दिल हौसला
कोई कैसे चले इतना फासला
जब हारके वापिस चल डुगा
तुम पीछे पीछे आ जाना
जब हारके वापिस चल डुगा
तुम पीछे पीछे आ जाना