Aayi Re Baraat Janak Ji Dvare
K. S. Chithra
आई रे बारात जनक जी के द्वारे
आई रे बारात जनक जी के द्वारे
राज कुमारन संग आये दशरथ
धन धन भाग हमारे हमारे (धन धन भाग हमारे हमारे)
आई रे बारात जनक जी के द्वारे
आई रे बारात जनक जी के द्वारे
पलक पावणे पथ मे बिछाओ
स्वागत करने को आओ रे आओ
यह संजोग अलौकिक सजनी
बंदे बन्नी पर मोती लुटाओ
परिजन पुरजन संग श्री रघुवर (परिजन पुरजन संग श्री रघुवर)
मिथिला धाम पधारे पधारे (मिथिला धाम पधारे पधारे)