Gulzar Speaks [Tarkieb]
GULZAR
मुझको भी तरकीब सीखा कोई यार जुलाहे
अक्सर तुझको देखा है कोई ताना बुनते
जब कोई धागा टूट गया या ख़तम हुआ
फिर से बांधके और कोई सिरा जोड़ के उस में
आगे बुनने लगते हो
तेरे इस ताने में लेकिन एक भी गाँठ गिरहा बुन्तर की
देख नहीं सकता है कोई मैंने तो एक बार बुना था
एक रिश्ता लेकिन उसकी सारी गिरहे साफ़ नज़र आती हैं
मेरे यार जुलाहे मुझको भी तरकीब सीखा कोई यार जुलाहे