Shiddat
Deb, Kunaal Verma
हो ओ ओ
अधूरा रहा तेरे बिना
हो ओ ओ
तुमसे जुदा हूँ
फिर भी जुड़ा
अधूरा रहा तेरे बिना
तुम्हसे जुदा हूँ
फिर भी जुड़ा
रात दिन बेवजह
पागल’ओं की तरह
तुझको चाहता रहा
कितनी शिद्दत से माँगा
कितनी शिद्दत से माँगा
जाने बस मेरा ही खुदा
मेरा ही खुदा
मेरे दिल के शहेर में
2 पल भी ना रुका तू
गुज़रा है मौसम की तरह
कैसे कहूँ
कैसे कहूँ की तुम हो क्या
कोई नही
कोई नही तेरे सिवा
गीतों में रागों में
मैने इन हाथों में
तुझको लकीरों सा लिखा
तुम को भुला ना पाऊँ
खुद को मिटा ना पाऊँ
कैसी है कैसी है सज़ा
रात दिन बेवजह
पागल’ओं की तरह
तुझको चाहता रहा
कितनी शिद्दत से माँगा
कितनी शिद्दत से माँगा
जाने बस मेरा ही खुदा
मेरा ही खुदा
मेरे दिल के शहेर में
2 पल भी ना रुका तू
गुज़रा है मौसम की तरह
अधूरा रहा तेरे बिना
हो ओ ओ
तुमसे जुदा हूँ
फिर भी जुड़ा
अधूरा रहा तेरे बिना