Ya Mujhe Afsare Sahi
या मुझे अफ़सर-ए-शाहाना बनाया होता
या मेरा ताज गदायाना बनाया होता
ख़ाकसारी के लिए गरचे बनाया था मुझे
काश संग-ए-दर-ए-जानाना बनाया होता
नशा-ए-इश्क़ का गर ज़र्फ़ दिया था मुझ को
उम्र का तंग न पैमाना बनाया होता
रोज़ मामूरा-ए-दुनिया में ख़राबी है ज़फ़र
ऐसी बस्ती से तो वीराना बनाया होता
या मुझे अफ़सर-ए-शाहाना बनाया होता
या मेरा ताज गदायाना बनाया होता