Kabe Se But Kade Se Kabhi

Avtar Singh

काबे से बुत कदे से
कभी बज़मे जाम से
काबे से बुत कदे से
कभी बज़मे जाम से
आवाज़ दे रहा हूँ
तुझे हर मुकाम से
आवाज़ दे रहा हूँ
तुझे हर मुकाम से
काबे से बुत कदे से
कभी बज़मे जाम से

अफ ये सबे फिराक़
के मारो की बे-दिली
अफ ये सबे फिराक़
के मारो की बे-दिली
खुद ही बुजा दिया है
चराग़ मुँह ख़ुसब से
खुद ही बुजा दिया है
चराग़ मुँह ख़ुसब से
आवाज़ दे रहा हूँ
तुझे हर मुकाम से
काबे से बुत कदे से
कभी बज़मे जाम से

ऐसी भी कुच्छ नज़र
से बहारे गुज़र गयी
ऐसी भी कुच्छ नज़र
से बहारे गुज़र गयी
दिल कांपता हैं ऐसी
बहारों के नाम से
दिल कांपता हैं ऐसी
बहारों के नाम से
आवाज़ दे रहा हूँ
तुझे हर मुकाम से
काबे से बुत कदे से
कभी बज़मे जाम से

वो भी दोस्त ही थे
जो की उमरा भर मुझे
वो भी दोस्त ही थे
जो की उमरा भर मुझे
देते रहे फरेब
मोहब्बत के नाम से
देते रहे फरेब
मोहब्बत के नाम से
आवाज़ दे रहा हूँ
तुझे हर मुकाम से
काबे से बुत कदे से
कभी बज़मे जाम से
काबे से बुत कदे से
कभी बज़मे जाम से

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