Raja Saheb Ghar Nahin
बा अदब बा मुलाहेज़ा बा होसियार
नहीं नहीं बेअदब बे मुलाहिजा बे मुहर
राजा साहब घर नहीं
हमको किसी का डर नहीं
आज तो गर्दन ऊँची करके
कहेंगे हम सो बार
बेअदब बे मुलाहिज़ा बे मुहर
बा आदद बा मुलाहेज़ा बा होसियार
राजा साहब घर नहीं
हमको किसी का डर नहीं
आज तो गर्दन ऊँची करके
कहेंगे हम सो बार
बेअदब बे मुलाहिज़ा बे मुहर (बेअदब बे मुलाहिज़ा बे मुहर)
बा आदद बा मुलाहेज़ा बा होसियार ओ
नाचेंगे और गाएँगे
चीखेंगे चिलायेंगे
मन मर्जी का पहनेंगे
मन मर्जी का खाएँगे
महल की ऊँची दीवारों
से दूर है पहरेदार
बेअदब बे मुलाहिज़ा बे मुहर (बेअदब बे मुलाहिज़ा बे मुहर)
बा आदद बा मुलाहेज़ा बा होसियार
चुप गद्दार
आँखें झुकी झुकी हो क्यों
सांसे रुकी रुकी हो क्यों
राजा जी जब यहाँ नहीं
तो बाते हो बेतुकी क्यों
आज के दिन तो बंद करो
ये झूठ का कारोबार
बेअदब बे मुलाहिज़ा बे मुहर (बेअदब बे मुलाहिज़ा बे मुहर)
बा आदद बा मुलाहेज़ा बा होसियार ओ
राजो और सुल्तानों का
किस्सा गए जमानो का
राजो और सुल्तानों का
किस्सा गए जमानो का
इंसानो के आगे क्यों
शीश झुके इंसानो का
ए संझा युग इन अर्जीरस्मों से है बेजर
बेअदब बे मुलाहिज़ा बे मुहर
बा आदद बा मुलाहेज़ा बा होसिया ओ