Raat Chup Chap Dil Padosi Hai

GULZAR, RAHUL DEV BURMAN

रात चुप-चाप, दबे पाँव चली जाती है
रात चुप-चाप, दबे पाँव चली जाती है
रात खामोश है, रोती नहीं, हँसती भी नहीं
रात चुप-चाप, दबे पाँव चली जाती है
रात खामोश है, रोती नहीं, हँसती भी नहीं
रात चुप-चाप, दबे पाँव चली जाती है

काँच का नीला सा गुंबद है, उड़ा जाता है, ऐ ऐ ऐ ऐ
काँच का नीला सा गुंबद है, उड़ा जाता है
खाली-खुली कोई बजरा सा बहा जाता है
एक सैलाब है, साहिल पे बिछा जाता है
रात चुप-चाप, दबे पाँव चली जाती है

चाँद की किरणों में वो रोज़ सा रेशम भी नहीं, ई ई ई ई
चाँद की किरणों में वो रोज़ सा रेशम भी नहीं
चाँद की चिकनी डली है कि घुली जाती है
और सन्नाटों की एक धूल उड़ी जाती है
रात चुप-चाप, दबे पाँव चली जाती है

काश एक बार कभी नींद से उठकर तुम भी
काश एक बार कभी नींद से उठकर तुम भी
हिज्र की रातों में ये देखो तो क्या होता है

Curiosità sulla canzone Raat Chup Chap Dil Padosi Hai di Asha Bhosle

Chi ha composto la canzone “Raat Chup Chap Dil Padosi Hai” di di Asha Bhosle?
La canzone “Raat Chup Chap Dil Padosi Hai” di di Asha Bhosle è stata composta da GULZAR, RAHUL DEV BURMAN.

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