Gungunati Hai
गुनगुनाती है दिल की धड़कन
तो गुनगुनाती क्यों है
मुस्कुराती है जिंदगी यह
तो मुस्कुराती क्यों है
थोड़ी खुशी है तो
क्या तोड़ा दर्र भी है
मदहोश मई हू लेकिन
इतनी खबर भी है
कुच्छ तो है दिल की चाहत
कुच्छ तो है आरजू
कुच्छ तो है दिल की ख्वाहिश
कुच्छ तो है जूसतजू
ज़ुबान साथ देती नही
गारसता है लब मेरे
काहु तो मई कैसे काहु
उड़े होश कब मेरे
मस्मसाती है रूह दिल
मे तो मस्मसाती क्यों है
जिस्म से बरस रही
आज खुश्बू कोई
रंग से उड़ा रहा
दिल मे हर्सू कोई
जाने किस मोड़ पर
यह कदम चल पड़े
बुझते बुझते कही
शोले से जल पड़े
यह बाहर यह फ़िज़ा
यह समा यह नज़ारे
बदले बदले से आज
क्यों लगते है सारे
पहले भी हम मिला करते
थे यह मुलाकात और है
आज की बात छ्चोड़ो भी दो
आज तो बात कुच्छ और है
गुदगुदती है रुत यह देखो
तो गुदगुदती क्यों है
तूने च्छू लिया मुझे
तो ऐसा क्यों लगा
जैसे दिल मे ले रहा
हो कोई चुटकिया
तूने किस निगाह से
देखा है मुझे
गिर पड़ी है दिल पे
मेरे कितनी बिजलिया
यह नशा एक नया
दर्द सा लाया है
बहका बहका हू मे
जादू सा छ्चाया है
यह कैसी बेखुदी मेरे
दिल को आजमा रही है
आजमाती है बेखुदी
तो आजमाती क्यों है