Ghir Aaye Ras Megh Rasik Ji

S. D. Burman, Narendra Sharma

तुम वृंदावन चंद्र सांवरे हम है चंद्र चकोरी
ह्रिदय ह्रिदय से बाँध रही है चंद्र किरण की डोरी
तुम गोपी तुम नटवर नागर (नटवर नागर)
तुम नादियाओं का रस के सागर
नटवर नागर रस के सागर नटवर नागर
अपनी बनाओ हमे अंग लगाओ जी रास रचाओ जी
रास रचाओ जी तान बजाओ जी
जनम जनम की प्यास बुझाओ ना प्यास बुझाओ जी
रास रचाओ जी

ओ गगन अटारी पे चढ़ गयी सरगम
प्रेम लगन मन जागी
आज रहे जो दूर श्याम से
तो ब्रिज़भां अभागी
बरसे चाँदनी शरद निशा में (शरद निशा में)
बरसे चाँदनी दिशा दिशा में
शरद निशा में दिशा दिशा में शरद निशा में
रस के बिहारी श्याम रस बरसाओ जी रास रचाओ जी
रास रचाओ जी तान बजाओ जी
जनम जनम की प्यास बुझाओ ना प्यास बुझाओ जी
रास रचाओ जी तान बजाओ जी
जनम जनम की प्यास बुझाओ ना प्यास बुझाओ जी
रास रचाओ जी

Curiosità sulla canzone Ghir Aaye Ras Megh Rasik Ji di Asha Bhosle

Chi ha composto la canzone “Ghir Aaye Ras Megh Rasik Ji” di di Asha Bhosle?
La canzone “Ghir Aaye Ras Megh Rasik Ji” di di Asha Bhosle è stata composta da S. D. Burman, Narendra Sharma.

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