Dil-E-Gham Naseeb Ki Dastan
दिल ए गम नसीब की दास्ता
कोई सुन सके ना सुना सके
वो लगाईं आग नसीब ने
जिसे कोई भी ना बुझा सके
दिल ए गम नसीब की दास्ता
ये मिली वफा की सजा हमें
ये मिली वफा की सजा हमें
वो बिछड के फ़िर ना मिला हमे
ना मिली कही वो दवा हमें
के जो दर्द दिल को मिटा सका
वो लगाईं आग नसीब ने
जिसे कोई भी ना बुझा सके
दिल ए गम नसीब की दास्ता
ना वो दिल रहा ना वो आरजू
ना वो दिल रहा ना वो आरजू
ना वो गुल रहा ना वो रंगहू ना वो रंगरू
ना वो दिल रहा ना वो आरजू
ना वो गुल रहा ना वो रंगरू
करे क्यूँ ना मौत की जुस्तजू
जो कही करार ना पा सके
वो लगाईं आग नसीब ने
जिसे कोई भी ना बुझा सके
दिल ए गम नसीब की दास्ता
दिल ए गम नसीब की दास्ता