Baj Gayi Ghanti [1]
वाह चाचा बजाती
अपन की घंटी और कर दी सबकी छुट्टी
बज गयी घंटी
बज गयी घंटी हो गयी छुट्टी
गया रे भेजा घूम
बज गयी घंटी हो गयी छुट्टी
गया रे भेजा घूम
अरे चक्कर पे चक्कर आये रे काहे
रही है दुनिया झूम
बज गयी घंटी हो गयी छुट्टी
गया रे भेजा घूम
कौन यह मस्ती घोल
धरती ऊपर अम्बार
नीचे दुनिया डगमग डोले
यह क्या हुवा अजूबा
पंख बिना मैं उड़ाती जाओ
दिल मेरा जाए डूबा
बस्ती में मस्ती
मस्ती में बस्ती
मची है कैसी धूम
बज गयी घंटी
बज गयी घंटी हो गयी छुट्टी
गया रे भेजा घूम
फेंके उलटा फाँसा
कुछ ऐसे ही लोग यहां
जो दुनिया को दे झासा
कब तक देंगे झांसा
इक दिन वह भी आएगा
यह बन जायेंगे तमासा
पड़ेगी सर पे वक़्त की लाठी
मचेगी बॉम्बे बम
बज गयी घंटी
हे बज गयी घंटी हो गयी
छुट्टी
गया रे भेजा घूम
खुल गयी बंद यह आँखें
समझ में आ गयी सारी बातें
खुल गयी बंद यह आँखें
खुल गयी बंद यह आँखें
समझ में आ गयी सारी बातें
खुल गयी बंद यह आँखें
अपने कर जाए घाटे
बेगाने यहां प्यार निभाए
अपने कर जाए घाटे
कौन है अपना
कौन बेगाना
किसको यहाँ मालुम
बज गयी घंटी
बज गयी घंटी हो गयी छुट्टी
गया रे भेजा घूम