Mann Ki Dori

Kausar Munir

जिस पल से देखा है तुझको
मन ये पगल गया रे
पीछे पीछे देखो
तेरे हद्द से निकल गया रे

हो जिस पल से देखा है तुझको
मन ये पगल गया रे
पीछे पीछे देखो
तेरे हद्द से निकल गया रे
तू जहाँ वहाँ लेके जाए
ये राहें मोरी
की तुझ संग बांधी
की तुझ संग बांधी
की तुझ संग बांधी
ये मन की डोरी
की तुझ संग बांधी
ये मन की डोरी
की तुझ संग बांधी
ये मन की डोरी
रे रे रे
तुझ संग बांधी
ये मन की डोरी

हो दाँतों से काटे
हाथों से खिंचे
डोर ये तेरी मेरी
तोड़े ना टूटे
हो धूप के दिन हो या
सर्दी की राते
डोर ये तेरी मेरी
छोड़े ना छूटे
तू जहाँ वहाँ लेके जाए
ये राहें मोरी
की तुझ संग बांधी
की तुझ संग बांधी
की तुझ संग बांधी
ये मन की डोरी
की तुझ संग बांधी
ये मन की डोरी
की तुझ संग बांधी
ये मन की डोरी
रे रे रे
तुझ संग बांधी
ये मन की डोरी

की तुझ संग बांधी
ये मन की डोरी
की तुझ संग बांधी
ये मन की डोरी
की तुझ संग बांधी
ये मन की डोरी
रे रे रे
की तुझ संग बांधी
ये मन की डोरी

हे हे हे

Curiosità sulla canzone Mann Ki Dori di Armaan Malik

Chi ha composto la canzone “Mann Ki Dori” di di Armaan Malik?
La canzone “Mann Ki Dori” di di Armaan Malik è stata composta da Kausar Munir.

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