Desh Mere

Manoj Muntashir

ओह देश मेरे तेरी शान पे सदके
कोई धन है क्या तेरी धूल से बढ़ के
तेरी धूप से रौशन तेरी हवा पे जिंदा
तू बाग है मेरा मैं तेरा परिंदा
है अर्ज़ यह दीवाने की
जहाँ भोर सुहानी देखी
इक रोज़ वहीं मेरी शाम हो
कभी याद करे जो ज़माना
माटी पे मर मिट जाना
ज़िकर में शामिल मेरा नाम हो
ओह देश मेरे तेरी शान पे सदके
कोई धन है क्या तेरी धूल से बढ़ के
तेरी धूप से रौशन तेरी हवा पे जिंदा
तू बाग है मेरा मैं तेरा परिंदा

आँचल तेरा रहे माँ रंग बिरंगा
ओह उँचा आसमान से हो तेरा तिरंगा
जीने की इज़ाज़त देदे
या हुकुम शहादत देदे
मंजूर हमें जो भी तू चुने
रेशम का हो मधुशाला
या कफ़न सिपाही वाला
ओढेंगे हम जो भी तू बूने
ओह देश मेरे तेरी शान पे सदके
कोई धन है क्या तेरी धूल से बढ़ के
तेरी धूप से रौशन तेरी हवा पे जिंदा
तू बाग है मेरा मैं तेरा परिंदा

Curiosità sulla canzone Desh Mere di Arijit Singh

Chi ha composto la canzone “Desh Mere” di di Arijit Singh?
La canzone “Desh Mere” di di Arijit Singh è stata composta da Manoj Muntashir.

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