Zara Zara Si Baatein

Javed AKhtar

हसीन लम्हें, शरीर लम्हें शर्मिलें लम्हें, झिजकते लम्हें
पिघलते लम्हें, धड़कते लम्हें मोहोब्बत मे गुजरें, ये तमाम लम्हें
दिल की पगडंडिया पर, अपने पैरों के निशान ]छोड़ गये हैं
मौसम बदलतें हैं, हवाएं चलती हैं लेकिन ये निशान ना मिटाते हैं
ना हलके होते हैं

ज़रा ज़रा सी बाते, तेरी मुझको याद आती हैं
मेरे दिल को तड़पति हैं, रातों मे
ज़रा ज़रा सी बाते, बीते लम्हें ले आती हैं
तसवीरें सी बन जाती हैं, आँखों में
ज़रा ज़रा सी बातें

कोई बनाके बहाना, मेरे घर को तेरा आना
हर शाम मिलने के लिए
ओ हलकें गुलाबी थे वो, जो फूल तूने मुझको
एक रोज़ लाके थे दिए
और अब फूलों की खुशबुए जो कहलाती आती हैं
मुझको तन्हा कर, जाती हैं राहों मे
ज़रा ज़रा सी बाते, तेरी मुझको याद आती हैं
मेरे दिल को तड़पाती हैं, रातों मे
ज़रा ज़रा सी बाते

दरिया किनारे थे हम साँसे थी मद्धम मद्धम
छिटकी हुई थी चाँदनी
आ साहिल पे आती लहरें, थी जैसे गाती लहरें
अंजानी कोई रागिनी
और अब साहिल पे, गाती लहरें जो आती हैं
तूफान जैसे वो लाती हैं, यादों मे
ज़रा ज़रा सी बाते, तेरी मुझको याद आती हैं
मेरे दिल को तड़पति हैं, रातों मे
ज़रा ज़रा सी बाते, बीते लम्हें ले आती हैं
तसवीरें सी बन जाती हैं, आँखों में
ज़रा ज़रा सी बातें
ज़रा ज़रा सी बातें

Curiosità sulla canzone Zara Zara Si Baatein di Alka Yagnik

Chi ha composto la canzone “Zara Zara Si Baatein” di di Alka Yagnik?
La canzone “Zara Zara Si Baatein” di di Alka Yagnik è stata composta da Javed AKhtar.

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