Yeh Nazar
नादान है ये नज़र दुनिया से बेख़बर
करती है ये सफ़र ले असर हल्की-हल्की बेखुदी का
नादान है ये नज़र लहरों-सी लौट कर
आती है तेरे डर ले असर खुमार का
यूँ ही जो तलब है हाए क्या गाज़ाब है
ये मिटाने से मिटे ना
बाज़ी जो लगाऊं खुद ही हार जौन तुझसे जीतूं क्या
मेरे ही बस में ना ये सिलसिला नादान है ये नज़र
लहरों-सी लौट कर
आती है तेरे दर ले असर खुमार का
इत्तेफ़ाक़ है या है नसीब मेरा
महफ़िलों में तेरी हूँ मैं
ये मुसाफ़िरी जो फ़र्ज़ है मेरा तो राज़ी हूँ मैं
आँखों का तू आखरी खाब है नादान है ये नज़र
दुनिया से बेख़बर
करती है ये सफ़र ले असर हल्की-हल्की बेखुदी का
नादान है ये नज़र लहरों-सी लौट कर
आती है तेरे दर ले असर खुमार का
ला ला ला ला ला
आती है तेरे दर ले असर खुमार का