Sab Qatal Hoke

FAIZ AHMED FAIZ, FARIDA KHANUM

आह आ आह आ आ आ आह आ आह आ आ आ
सब क़त्ल होके तेरे मुक़ाबिल से आये हैं
सब क़त्ल होके तेरे मुक़ाबिल से आये हैं
हम लोग सुर्ख-रू हैं कि मंजिल से आये हैं
सब क़त्ल होके तेरे

शम्मए नज़र, खयाल के अंजुम, जिगर के दाग़
शम्मए नज़र, खयाल के अंजुम, जिगर के दाग़
जितने चिराग़ हैं तेरी महफ़िल से आये हैं
जितने चिराग़ हैं तेरी महफ़िल से आये हैं
सब क़त्ल होके तेरे

हर इक क़दम अज़ल था, हर इक ग़ाम ज़िन्दगी
हर इक क़दम अज़ल था, हर इक ग़ाम ज़िन्दगी
हम घूम-फिर के कूचा-ए-क़ातिल से आये हैं
सब क़त्ल होके तेरे

इस बजम मे सहिदे वफ़ा जाने कौन हो
इस बजम मे सहिदे वफ़ा जाने कौन हो
सब पर सलाम हुस्न की महफ़िल से आए है
सब क़त्ल होके तेरे

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