Kaise Kahein
Viraat Gupta
निगाहें कुछ कह रही है
बातें जो अनकही है सुनो ना
होठों पे मन रुका है
लब्ज़ ये थम सा गया है सुनो ना
कितनी बाते है कब से
मन भी है भरा तब से
पर ना सूझे हम कैसे कहें
निगाहें कुछ कह रही है
बातें जो अनकही है सुनो ना
कितनी बाते है कब से
मन भी है भरा तब से
पर ना सूझे हम कैसे कहें
क्या कभी मिल पाते
कैसे रास्ता बनाते बोलो तो
मन तो बस करता ही हैं शोर
तुम बस सुन भी लो ना
एक दफा मेरा कहना
मन में मेरे रहता ना कोई और
आँखों की गलतियां हैं
दिल को जो सेहना पड़ा समझो ना
कितनी ख्वाहिशें मन की
रह जाती अधूरी ही
कैसी बंदिशें कैसे करे
निगाहें कुछ कह रही है
बातें जो अनकही है सुनो ना
बातें जो अनकही है सुनो ना
कितनी बाते है कब से
मन भी है भरा तब से
पर ना सूझे हम कैसे कहें
कितनी ख्वाहिशें मन की
दिल को जो सेहना पड़ा समझो ना
पर ना सूझे हम कैसे कहें