Teri Aankhon Ke Siva

MADAN MOHAN, MAJROOH SULTANPURI

तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है
तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है
ये उठें सुबह चले, ये झुकें शाम ढले
मेरा जीना मेरा मरना इन्हीं पलकों के तले
तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है

पलकों की गलियों में चेहरे बहारों के हँसते हुए
हैं मेरे ख़ाबों के क्या क्या नगर इनमें बसते हुए हो
पलकों की गलियों में चेहरे बहारों के हँसते हुए
ये उठें सुबह चले ये झुकें शाम ढले
मेरा जीना मेरा मरना इन्हीं पलकों के तले
तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है

इनमें मेरे आने वाले ज़माने की तस्वीर है
चाहत के काजल से लिखी हुई मेरी तक़दीर है
इनमे मेरे आने वाले ज़माने की तस्वीर है
ये उठे सुबह चले
ये झुकें शाम ढले
मेरा जीना मेरा मरना
इन्हीं पलकों के तले
तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है
तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है
ये उठे सुबह चलेये झुकें शाम ढले
मेरा जीना मेरा मरना
इन्हीं पलकों के तले
तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है

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