Gumsum

Manav, Akanksha Bhandari

तू गुमसुम है, मैं भी परेशाँ हूँ
तू गुमसुम है, मैं भी परेशाँ हूँ
दिल की ये ख़्वाहिशें यही
तू हो जहाँ, मैं भी वहीं
पर तू वहाँ है, मैं यहाँ हूँ
तो कैसे मिटें ये दूरियाँ?
कटती ना रातें, ये मुश्किल घड़ी है
बिस्तर पे नींदें अकेली पड़ी हैं
साँसों की है ये इल्तिजा
हो पास तू हर मर्तबा
तू ना तो जैसे सज़ा, तू ही तो मेरी रज़ा
अब कैसे मिटें ये दूरियाँ?
तू गुमसुम है, मैं भी परेशाँ हूँ

Curiosità sulla canzone Gumsum di आकांक्षा भंडारी

Chi ha composto la canzone “Gumsum” di di आकांक्षा भंडारी?
La canzone “Gumsum” di di आकांक्षा भंडारी è stata composta da Manav, Akanksha Bhandari.

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