Jeevan Jyoti Bujhti Jaye
Yashodanandan Joshi
जीवन ज्योति भहुजती जाए
तुझ बिन कौन जगाए
तुझ बिन कौन जगाए
परभु जी परभु जी
तुझ बिन कौन जगाए
चारो और छाया अंधियारा
सुझत नही दूर किनारा
चारो और छाया अंधियारा
सूज़्त् नही डोर किनारा
तेरा ही है एक सहारा
तेरा ही है एक सहारा
तुझ बिन कौन सुझाए
तुझ बिन कौन सुझाए
परभु जी परभु जी
तुझ बिन कौन सुझाए
दुख आए परवाह नही है
सुख पाने की चाह नही है
दुख आए
मैं मूर्ख मंज़िल को डुँड़ी
मैं मूर्ख मंज़िल को डुँड़ी
तुझ बिन कौन बताए
तुझ बिन कौन बताए
परभु जी परभु जी
तुझ बिन कौन सुझाए
उलझे है जाग
उच नीच की उलझन में
उच नीच की उलझन में
बोलो कैसे चैन मिले
फिर जीवन में
चैन मिले फिर जीवन में
बनी हमारी बिगड़ रही है
बनी हमारी बिगड़ रही है
तुझ बिन कौन बनाए
तुझ बिन कौन बनाए
परभु जी परभु जी
तुझ बिन कौन बताए