Zara Thehro [Unplugged]
Rashmi Virag
ज़रा ठहरो ज़रा बैठो करनी है बातें
पास आओ और थोड़ा सर्द है रातें
आसान होता तो मैं कब का कह चूका होती
ऐसे तुम्हारे सामने खामोश ना रहती
ज़रा ठहरो ज़रा बैठो करनी है बातें
पास आओ और थोड़ा सर्द है रातें
ए ए हे ए ए
मेरी आँखों में सांसों में पहले भी ये ख्वाब चलता रहा
तेरी नींदों में चुपके से जाने से जाने क्यूँ डरता रहा
बारिश की बूंदों सा ये दिल गिरता बरसता है
तुम पास होते हो मगर फिर भी तरसता है
ज़रा ठहरो ज़रा बैठो करनी है बातें
तुमको पाना चाहती हैं मेरी बरसातें